Saturday, October 12, 2013

वो लोग कोई और होंगे!




वो लोग कोई और होंगे
जिनकी हंसी आसमान तक पींगे भरती हो
जिनके ठहाके बादलों में गरजते हों

जिनकी मुस्कराहट फूलों का रंग निखार देती हो
जिनकी ख़ुशी के फव्वार्रे अपनी बूंदों से
आस पास के सूखेपन को सींच देतें हों

वो लोग कोई और होंगे
जो अपनी उमंगो को साकार करने की क्षमता रखते हों
जो ख्वाबों का जाल तो बुनते हैं पर हकीकत के धागों से

जो इस ज़िन्दगी का एहसान समझ
हर बिताए पल को सजदा किये घूमते हैं 

जो उम्र की सीमा को
एक पल में बिताये जीवन से नापते हों

जो अपने लिए कम
औरो के लिए ज्यादा जीतें हों
वो लोग कोई और होंगे
जिनके अपने उनको समझ पाएं हों
लेकिन जो एक अजनबी में भी अपनापन देख लेतें हों

जो रिश्तों में रोष कम रफीक ज्यादा ढूंढते हों
जो खुद का अक्स औरो में देख पातें हों

वो लोग कोई और होंगे
जो आने वाले अँधेरे से नहीं डरते
न ही कल के सूरज से वो जल जाते हैं
जिनका कल उनके आज के हौंसले पे टिका है

जो मौज की लहरों में उतना ही मचलना जानते हों
जितना ज़िम्मेदारी के जोश से झूझना

जिनकी फ़िक्र सिर्फ अपना दर्द नहीं
औरो के रंजीशों ग़म का मलहम ज्यादा बनती है
वो लोग कोई और होंगे
जो ज़िन्दगी का सफ़र आनंद से भर पाएं हों
न की खुद का बोझ इस संसार को दे गए हों .


Picture courtesy - Google Images