Wednesday, June 03, 2009
एक याद धुंधली सी!
10th दिसम्बर 1993 को लिखी और आज ब्लॉग पर पुब्लिश की.
ख़ुशी में बीतें कुछ पल
कभी आसुओं में छिपती हंसी
उदासी को अपने पंख पे ले उड़ती
भीनी-भीनी सी एक मुस्कान
आँखों में सजाती अपना बसेरा
एक याद धुंधली सी
जीवन के पथ पर साथ चलते चलते
दामन छुधाता एक अजनबी सा होता हाथ
गूंजती जैसे दूर से
एक पहचानी सी आवाज़
बीते हुईं कल की चादर ओढे हुईं
एक याद धुंधली सी
आशा की किरण संजोये षण
उम्मीद पे टिका वजूद
वक़्त की लपटों में
खोयी उम्र की दास्तान
आगे बढ़ते कुछ थके से कदम
दिल पर आती एक दस्तक
पीछे यूँही अचानक मुड़कर देखना
पर नज़र आती
एक याद धुंधली सी.
(Picture courtesy - www.deviantart.com)
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3 comments:
Amazing piece... dil se...
Thank you. Brevity could be deep too. Well, it mostly is. :-)
I guess... you should feel more and write ...
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